10 साल की जेल.1 करोड़ का जुर्माना, पेपर लीक मामले में आधी रात में जाग कर सरकार ने लागू किया सख्त कानून, जानें कानून के मुख्य प्रावधान
देश में नीट यूजी और यूजीसी नेट परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं को लेकर चल रहे विवाद के बीच केंद्र सरकार ने शुक्रवार को पेपर लीक विरोधी कानून लागू कर दिया।
केंद्र ने शुक्रवार रात इसकी अधिसूचना जारी कर दी. यह कानून केंद्र सरकार द्वारा भर्ती परीक्षाओं में नकल और पेपर लीक को रोकने के लिए लाया गया है। इस कानून के मुताबिक पेपर लीक करने या ओएमआर शीट से छेड़छाड़ करने पर कम से कम 3 साल और अधिकतम 5 साल की जेल हो सकती है। वहीं 10 लाख से 1 करोड़ तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा परीक्षा का खर्च भी आरोपी से वसूला जाएगा।इस कानून से पहले केंद्र सरकार के पास परीक्षाओं में कदाचार से जुड़े अपराधों को रोकने के लिए कोई अलग कानून नहीं था. कानून के मुताबिक ये अपराध माने जाएंगे-
1. किसी प्रतियोगी परीक्षा का पेपर और उत्तर लीक हो जाना।
2. बिना अनुमति के परीक्षा पत्र और उत्तर कुंजी का कब्ज़ा।
3. परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों की मदद करना.
4. परीक्षा के दौरान पेपर हल करने के लिए किसी की मदद लेना।
5. ओएमआर शीट से छेड़छाड़.
6. सरकारी एजेंसियों द्वारा निर्धारित मानकों का उल्लंघन.
7. किसी परीक्षा केंद्र या उसकी व्यवस्था से छेड़छाड़.
8. फर्जी एडमिट कार्ड जारी करना और गलत तरीके से परीक्षा आयोजित करना।
9. कॉपियों की जांच के दौरान छेड़छाड़.
10. परीक्षा केंद्रों पर तैनात अधिकारियों को धमकाना.
जानिए कानून के मुख्य प्रावधान-
1. उत्तर सीट से छेड़छाड़ करने पर कम से कम 3 साल और अधिकतम 5 साल की कैद।
2. 10 लाख से 1 करोड़ तक जुर्माने का प्रावधान.
3. अगर सर्विस प्रोवाइडर दोषी पाया गया तो उस पर 1 करोड़ का जुर्माना लगाया जाएगा.
4. यूपीएएसी, एसएससी, रेलवे भर्ती बोर्ड, आईबीपीएस और एनटीए की परीक्षाओं में अनियमितताएं इस कानून के दायरे में आएंगी।
5. परीक्षाओं में पेपर लीक से संबंधित सभी अपराध गैर-जमानती होंगे।
6. पेपर लीक के आरोपियों से परीक्षा का खर्च वसूला जाएगा.
7. परीक्षा केंद्र की भूमिका उजागर होने पर परीक्षा केंद्र को 4 साल के लिए निलंबित कर दिया जाएगा.
8. पेपर लीक और अन्य गतिविधियों में लिप्त पाए जाने पर परीक्षा केंद्र और उससे जुड़ी संपत्तियों को कुर्क करने का प्रावधान।
9. सरकार पेपर लीक से जुड़े किसी भी मामले की जांच सीबीआई, ईडी और आईबी जैसी एजेंसियों से करा सकती है.
10. पुलिस उपाधीक्षक या सहायक पुलिस आयुक्त के पद से नीचे का कोई भी अधिकारी इस अधिनियम के तहत किसी भी अपराध की जांच कर सकता है।