BSE Share Price: बीएसई के शेयर 18% टूटे, सेबी के इस आदेश का दिखा असर
BSE Share Price: बीएसई के शेयरों में सोमवार, 29 अप्रैल को एनएसई पर शुरुआती सौदों में 17.6 प्रतिशत की गिरावट आई। इसके पीछे की वजह बाजार नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) का आदेश है।
सेबी ने इसे ऑप्शंस कॉन्ट्रेक्ट्स के लिए टर्नओवर के दूसरे कैलकुलेशन के हिसाब से रेगुलेटरी फीस देने को कहा है। जो बीएसई पर बोझ बढ़ा सकता है। जिसका असर बीएसई के शेयरों पर भी दिख सकता है। फिलहाल NSE पर यह 12.17 फीसदी की गिरावट के साथ 2,819.50 रुपये के लेवल ट्रेड कर रहा है। हालांकि इंट्रा-डे में यह 18.64 फीसदी फिसलकर 2,612.10 रुपये के भाव तक आ गया था।
सेबी ने बीएसई को विकल्प अनुबंधों के लिए वार्षिक कारोबार पर नियामक शुल्क का भुगतान करने का निर्देश दिया है। इसमें कहा गया है कि विकल्प अनुबंधों के लिए वार्षिक कारोबार की गणना विकल्प अनुबंधों के अनुमानित मूल्य के आधार पर की जानी चाहिए। इसके अलावा, सेबी ने निम्नलिखित बातें देखीं:
- वित्तीय वर्ष 2006-07 के लिए बोर्ड को भुगतान किया गया विनियामक शुल्क पूरे वित्तीय वर्ष के बजाय एक तिमाही के लिए था।
- डेरिवेटिव अनुबंधों की शुरुआत के बाद से, बीएसई (तत्कालीन यूनाइटेड स्टॉक एक्सचेंज (यूएसई) सहित, जिसका वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान बीएसई में विलय हुआ था), प्रीमियम मूल्य को ध्यान में रखते हुए, बोर्ड को “वार्षिक टर्नओवर” पर काल्पनिक मूल्य के बजाय विकल्प अनुबंध नियामक शुल्क का भुगतान कर रहा है।
SEBI ने किस कैलकुलेशन से फीस देने को कहा
सेबी ने बीएसई को ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए नोशनल वैल्यू पर सालाना टर्नओवर कैलकुलेट कर फीस चुकाने को कहा है। नोशनल वैल्यू किसी अंडरलाइंग एसेट के मार्केट प्राइस को कॉन्ट्रेक्ट के अमाउंट को गुणा करके निकालते हैं। बीएसई को करीब 165 करोड़ रुपये देने हैं जिसमें से 69 करोड़ रुपये वित्त वर्ष 2007-2023 तक के और 96 करोड़ रुपये वित्त वर्ष 2024 के हैं। अगर कोई ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट 50 रुपये भाव वाले किसी स्टॉक के 100 शेयर का है तो इसकी नोशनल वैल्यू 5000 रुपये होगी। अभी तक बीएसई ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट के प्रीमियम वैल्यू के आधार पर निकालती है। अब सेबी के आदेश पर कैलकुलेशन बदलकर जो अंतर आएगा, वह ब्याज के साथ देना है।