गिफ्ट और दहेज में कितना है अंतर? समझ लीजिए वरना हो सकती है दिक्कत
Difference Between Dowry And Gift: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शादी में मिलने वाले गिफ्ट और दहेज के लेकर एक अहम टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि शादी में जो भी उपहार मिलते हैं उनकी एक लिस्ट बननी चाहिए और उस लिस्ट पर वर और वधू पक्ष के हस्ताक्षर होने चाहिए.
यह लिस्ट शादी के बाद दहेज से जुड़े विवादों को सुलझाने में मददगार साबित होगी. कोर्ट ने दहेज के एक मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से हलफनामा भी मांगा है कि वह बताए कि दहेज प्रतिषेध अधिनियम के तहत क्या नियम बनाए गए हैं.
कोर्ट ने कहा कि शादी में मिलने वाले उपहारों को दहेज नहीं माना जा सकता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि दहेज और गिफ्ट में क्या अंतर है.
कानूनी तौर पर क्या है दहेज
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट आशीष पांडे कहते हैं कि दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961 में दहेज की परिभाषा तय की गई है. दहेज उन चीजों को कहा जाता है जिसे एक पक्ष दूसरे पक्ष को देने के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहमति व्यक्त करता है. फिर चाहे उसे विवाह के समय दिआ जाए या विवाह के बाद. यानी बाध्यता और शर्त के साथ दी गई चीजों को ही दहेज माना जाएगा.
क्या माता-पिता द्वारा बेटी को दी गई हर चीज दहेज है?
इस सवाल का जवाब केरल हाईकोर्ट के 2021 के फैसले से समझते हैं. अपने फैसले में केरल हाई कोर्ट ने कहा था कि शादी के समय दुल्हन को जो भी उपहार मिले हैं उन्हें दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के तहत दहेज नहीं माना जाएगा. इसलिए अगर वर पक्ष की मांग के बगैर माता पिता अपनी बेटी को जो भी चीजें देते हैं उन्हें दहेज नहीं माना जाएगा, चाहे वह सामान कितना भी कीमती क्यों न हो.
दहेज और उपहार में अंतर
हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दहेज को लेकर एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि उपहारों को दहेज की कैटेगिरी में नहीं रखा जा सकता है. शादी के दौरान लड़का-लड़की को मिलने वाली चीजों को उपहार ही माना जाएगा दहेज नहीं.
कोर्ट ने कहा कि यदि ऐसे उपहारों की सूची बनाई गई है जिसमें लागत बताई गई है और एक घोषणा भी शामिल है कि ये स्वेच्छा से दिए गए हैं और इस सूची पर दूल्हा-दुल्हन के हस्ताक्षर हैं तो इसे दहेज नहीं माना जाएगा.
दहेज मामले में कितनी सजा
दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961 के तहत दहेज लेना और देना दोनों अपराध है. इस कानून को तोड़ने वाले को न्यूनतम 5 साल की सजा और कम से कम 15 हजार का जुर्माना देना होगा. इसके अलावा दहेज के लिए की गई हत्या या दहेज की मांग के लिए क्रूरता या हिंसा धारा 498A के तहत गैर जमानती अपराध है.