गंभीर बीमारी के लक्षण. केजरीवाल की सुप्रीम कोर्ट से मांग- 7 दिन बढ़ाई जाए अंतरिम जमानत

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अंतरिम बेल बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. केजरीवाल सात दिन और अंतरिम बेल चाहते हैं. आम आदमी पार्टी (AAP) ने दावा किया गया है कि गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री केजरीवाल का 7 किलो वजन घटा है.

उनका कीटोन लेवल बहुत हाई है. किसी गंभीर बीमारी के लक्षण हो सकते हैं. दरअसल, केजरीवाल को शीर्ष अदालत ने एक जून तक के लिए अंतरिम जमानत दी है.

आम आदमी पार्टी के मुताबिक, केजरीवाल के हेल्थ की मैक्स के डॉक्टरों ने जांच की है. उन्हें PET-CT स्कैन और कई टेस्ट करवाने की जरूरत है. जांच करवाने के लिए केजरीवाल ने 7 दिन और मांगे हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि 50 हजार के बेल बॉन्ड और निजी मुचलका जेल सुप्रीटेंडेंट की संतुष्टि पर होगा. कोर्ट ने कहा था कि वह दिल्ली के मुख्यमंत्री और एक राष्ट्रीय दल के नेता हैं. उनके ऊपर गंभीर आरोप लगे हैं, लेकिन उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया है. उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है. केजरीवाल समाज के लिए खतरा नहीं है. इसलिए अंतरिम जमानत दे रहे हैं.केजरीवाल ने दाखिल किया रिटन सबमिशन

वहीं, केजरीवाल ने गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर रिटन सबमिशन दाखिल किया. वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने केजरीवाल की ओर से रिटन सबमिशन दाखिल किया है. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि ईडी के पास गिरफ्तारी के उचित आधार नहीं हैं, महज संदेह के आधार पर गिरफ्तारी की गई. पीएमएलए में गिरफ्तारी के मानक तय हैं, जो ईडी द्वारा नहीं निभाए गए.

उन्होंने कहा कि धारा 19 में निर्मित मूल्यांकन और मूल्यांकन की सुरक्षा तय है. इस मामले में ईडी का कदम संतुलित नहीं है. धारा 19 के तहत गिरफ्तारी केवल धारणाओं, अनुमानों, अटकलों पर आधारित नहीं हो सकती. ऐसी सामग्री होना जरूरी है, जिसका स्पष्ट आधार हो. संदेह के आधार पर गिरफ्तारी वैध नहीं है. धारा 19 के आधार पर एक ठोस निर्धारण की परिकल्पना की गई है. अपराध के निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए कब्जे में ठोस सामग्री होनी चाहिए. तभी गिरफ्तारी की जा सकती है. अगर गिरफ्तारी के कदम में मानकों का पालन नहीं किया जाता, तब इसे अदालत द्वारा अवैध मानकर रद्द किया जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा था?

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में एक अहम टिप्पणी की थी. उसने कहा था कि इस वक्त देश में सबसे अहम चुनाव हो रहे हैं जो कि लोकसभा के हैं. इस राष्ट्रीय महत्व के चुनाव में देश के कुल 97 करोड़ वोटर्स में से करीब 65 से 70 करोड़ वोटर्स अगले 5 साल के लिए देश की सरकार चुनेंगे. देश का आम चुनाव लोकतंत्र को संजीवनी प्रदान करता है. कोर्ट ने ED की इस दलील खारिज कर दी थी और कहा था कि केजरीवाल को बेल देना उन्हें आम जनता की तुलना में ज्यादा विशिष्ट स्थान देगा.

सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को मुख्यमंत्री कार्यालय या दिल्ली सचिवालय जाने से रोक दिया था. शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि वह किसी भी फाइल पर बिना दिल्ली के उपराज्यपाल की मंजूरी के साइन नहीं करेंगे. अपने केस पर अपनी भूमिका को लेकर कोई कमेंट नहीं करेंगे. किसी गवाह से संपर्क नहीं करेंगे. कोर्ट ने 50 हजार का बेल बॉन्ड जमा करने के लिए कहा था. इसके अलावा कहा था कि इस अंतरिम जमानत पर किसी भी तरह की राय नहीं तय की जाए. ये पीएमएलए केस की मेरिट से इतर है.

केजरीवाल को 2 जून को करना होगा सरेंडर

सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए केजरीवाल को 1 जून तक के लिए अंतरिम बेल दी थी. वह दिल्ली शराब घोटाला मामले में न्यायिक हिरासत में थे. पूरे देश में वोटिंग खत्म होने के अगले दिन यानी 2 जून को अरविंद केजरीवाल को अधिकारियों के सामने सरेंडर करना है. जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया था. लोकसभा चुनाव में केजरीवाल AAP के साथ-साथ इंडिया गठबंधन के लिए भी प्रचार कर रहे हैं. दिल्ली एक्साइज पॉलिसी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने केजरीवाल को गिरफ्तार किया था.

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