जन धन योजना : नीति आयोग के सीईओ ने बताया, चार साल के काम को पांच महीने में कैसे किया पूरा
नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के 10 साल पूरे हो गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने आज के दिन को देश के लिए एक ऐतिहासिक बताया और उन्होंने सभी लाभार्थियों को शुभकामनाएं भी दी हैं।
इस बीच प्रधानमंत्री जन धन योजना के 10वीं वर्षगांठ के अवसर पर नीति आयोग के सीईओ ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने याद किया कि किस तरह से योजना के 4 साल के लक्ष्य को घटाकर 5 महीने का किया गया था।
नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने बुधवार को जन धन योजना की सफलता के दस साल के बारे में बात करते हुए कहा, “2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यभार संभालने के तुरंत बाद अधिकारियों की शुरुआती ब्रीफिंग के दौरान जन धन योजना का कॉन्सेप्ट सामने आया था।”
जन धन योजना के शुभारंभ से पहले की घटनाओं का जिक्र करते हुए बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने कहा, “पीएम मोदी हर किसी से पूछते रहते थे कि हर घर को कवर करने में कितना समय लगेगा? जब प्रधानमंत्री ने यह सवाल आरबीआई गवर्नर से पूछा तो उन्होंने अनुमान लगाया कि इसमें चार साल लगेंगे।”
सुब्रह्मण्यम बताते हैं कि पीएमओ में कुछ अन्य अधिकारियों ने सुझाव दिया कि इसमें दो साल लग सकते हैं। लेकिन, उन्होंने खुद कहा था कि इसमें कम से कम एक साल लगेगा।
सुब्रह्मण्यम ने बताया, “15 अगस्त को सभी लोग उस समय हैरान हो गए, जब पीएम मोदी ने घोषणा कर दी कि यह काम 26 जनवरी तक पूरा हो जाएगा। जिस परियोजना के लिए चार साल का अनुमान लगाया गया था, वह केवल पांच महीनों में ही पूरी हो गई। इससे हम सभी हैरान रह गए।”
उन्होंने आगे बताया कि विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने पीएम मोदी द्वारा निर्धारित इस महत्वाकांक्षी समय सीमा को पूरा करने के लिए दिन-रात काम किया। उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई और लक्ष्य को निर्धारित समय से पहले ही हासिल कर लिया गया, जिससे यह सुनिश्चित हो गया कि लगभग 12 करोड़ लोग, जो बैंकिंग सुविधाओं से वंचित हैं, उन्हें इस योजना के लॉन्च होने के 5 महीने के अंदर ही इससे जोड़ा गया।
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री जन धन योजना को शुरू किया था। इसके तहत देश के प्रत्येक परिवार को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ा गया। इस योजना के समय बीवीआर सुब्रह्मण्यम, प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव के पद पर कार्यरत थे।