Haryana Polls: सी-वोटर एग्जिट पोल में कांग्रेस सरकार की भविष्यवाणी, BJP को हुए नुकसान की 5 वजहें
हरियाणा विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल जारी कर दिए गए हैं. हरियाणा में बीजेपी तीसरी बार सत्ता पाने की जद्दोजहद में है. आजतक सी-वोटर सर्वे के नतीजे संकेत देते हैं कि कांग्रेस एक दशक के बाद राज्य में वापसी कर सकती है.
कई अन्य सर्वेक्षणों ने भी हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनने की भविष्यवाणी की है. एग्जिट पोल सर्वे संकेत देता है कि सत्तारूढ़ बीजेपी एक दशक के बाद सत्ता खोने वाली है. आइए जानते हैं कि बीजेपी की मौजूदा स्थिति के पीछे कौन की वजहें जिम्मेदार हैं.
हरियाणा की बीजेपी सरकार को कई वजहों से राज्य में सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ा. सत्ता विरोधी लहर के चलते ही बीजेपी सरकार ने इस साल मार्च में मनोहर लाल खट्टर को हटा दिया. हालांकि, सत्ता विरोधी लहर को काबू करने के लिए इस तरह की कोशिशें कारगर नहीं हुई और दांव उलटे पड़ गए.
1. बेरोजगारी
2021-22 में हरियाणा की बेरोजगारी दर 9 फीसदी थी, जो राष्ट्रीय दर 4.1 फीसदी से दोगुनी से भी ज्यादा थी. बीजेपी सरकार ने अपने चुनावी घोषणापत्र में 2 लाख नौकरियों का वादा किया था, लेकिन अपने दो कार्यकालों के दौरान लगभग 1.84 लाख खाली पदों को भरने में फेल रही. बीजेपी नेताओं ने दावा किया कि उनके कार्यकाल के दौरान की गई सभी भर्तियां योग्यता के आधार पर थीं. इसके बाद भी कांग्रेस ने यह सवाल उठाकर दावों की पोल खोल दी कि हरियाणा लोक सेवा आयोग के कार्यालय से 3 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि क्यों बरामद की गई.
कुल 3.30 करोड़ रुपए बरामद किए गए: 1.08 करोड़ रुपए उप सचिव एचपीएससी अनिल नागर के कार्यालय से, 12 लाख रुपए उनके घर से, 66 लाख रुपए उनके मित्रों आशीष कुमार और सतीश गर्ग के घरों से और 1.44 करोड़ रुपए आशीष द्वारा सरेंडर किए गए. कुल मिलाकर 3.30 करोड़ रुपए बरामद किए गए. भर्ती कार्य के लिए 47 प्रतियोगी परीक्षाएं रद्द कर दी गईं.
2. शहरी मतदाताओं ने बीजेपी को छोड़ा
बीजेपी एक शहरी-केंद्रित पार्टी है, जिसका वोटर बेस शहरी और अर्ध-शहरी निर्वाचन क्षेत्र है. शहरी कैडर वोटों की वजह से पार्टी ने हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में 44 विधानसभा इलाकों में जीत हासिल की. शहरी मतदाताओं ने वोट न देकर बीजेपी को छोड़ दिया. दो करोड़ मतदाताओं में से सिर्फ एक करोड़ ने ही वोट डाला. अन्य लोग अपने घरों के अंदर ही रहे या दो दिन की छुट्टी के बाद वीकेंड की छुट्टियों पर चले गए.
3. खट्टर के ई-गवर्नेंस सुधार उलटे पड़े
तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा भ्रष्टाचार से निपटने और सरकारी सेवाओं को सरल बनाने के लिए किए गए शासन सुधार पार्टी के लिए दोधारी तलवार साबित हुए. राज्य सरकार ने परिवार पहचान पत्र, संपत्ति पहचान पत्र, मेरी फसल मेरा ब्यौरा, ई-क्षतिपूर्ति, टेंडरिंग और भावांतर भरपाई योजना पेंशन सहित कई ई-पोर्टल शुरू किए. लोग सरकार से नाराज थे क्योंकि उन्हें इन योजनाओं का फायदा नहीं मिल पा रहा था.
4. कागजों तक ही सीमित रह गई पहल
राज्य सरकार ने किसानों को लुभाने के लिए कई फैसले लिए, लेकिन वे कागजों तक ही सीमित रह गए. अगस्त 2024 में 24 फसलों पर एमएसपी देने का फैसला हुआ.
राज्य सरकार ने सरकारी भर्ती में 10 फीसदी आरक्षण, आयु में छूट और रिटायर्ड अग्निवीरों को बिजनेस के लिए 5 लाख रुपये तक ब्याज मुक्त लोन देने का भी ऐलान किया. इसके बाद भी, यह हकीकत नहीं बन सका क्योंकि इसका ऐलान चुनाव से ठीक पहले किया गया था.
5. सरकार के वे फैसले जो उलटे पड़ गए
हरियाणा सरकार ने 2020 में परिवार पहचान पत्र (PPP) शुरू किया और 2022 से ई-राशन कार्ड, वृद्धावस्था पेंशन और स्वास्थ्य बीमा सहित 500 योजनाओं और सेवाओं का फायदा उठाने के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया. पीपीपी पर बहत्तर लाख परिवार रजिस्टर्ड थे, लेकिन सरकार ने केवल 68 लाख का ही वेरिफिकेशन किया.
राज्य सरकार को सब्सिडी के दुरुपयोग और ग्रुप-डी भर्ती परीक्षा में अतिरिक्त अंक पाने के लिए फर्जी दावों के दुरुपयोग को रोकना चाहिए. पीपीपी में विसंगतियों और खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी की वजह से हजारों लोगों ने वृद्धावस्था पेंशन लेने से इनकार कर दिया, जिसके नतीजे में पीपीपी केंद्रों के बाहर लंबी कतारें लग गईं.