गुरु के दिव्य दृष्टि के प्रकाश में ही शिष्य करता है अपनी पहचान: अविनाश देव

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शिक्षक दिवस के पूर्व संध्या मे संत मरियम में सम्मान समारोह का आयोजन, देवघर व कोलकाता के कलाकारों ने बांधा समां

गुरु के दिव्य दृष्टि के प्रकाश में ही शिष्य करता है अपनी पहचान: अविनाश देव

मेदिनीनगर: भारतीय सभ्यता में गुरु ही एक ऐसे व्यक्तित्व हैं जिनके योगदानों का सम्मान समाज सदैव करती है। मनुष्य जीवन में गुरु का उतना ही महत्त्व है जितना जीने के लिये हवा तथा जल का है। गुरु सन्मार्ग दिखाते हैं, और गुरु ही अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाकर लक्ष्य तक पहुँचाते हैं जिनके सम्मान के लिए शिक्षक दिवस के पूर्व संध्या मे संत मरियम विद्यालय के प्रांगण में गौरवशाली सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।

डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन व मां सरस्वती के तस्वीर पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुभारंभ हुई। तत्पश्चात विद्यालय प्रबंधन के द्वारा समस्त सम्मानित शिक्षकों को आदर, सत्कार के साथ उपहार प्रदान किया गया। साथ ही इस कार्यक्रम को ऊर्जावान व उत्साहजनक बनाने के लिए आयोजक विनय मिश्रा जी के द्वारा देवघर से चलकर आए गजल गायक अमरेश राज सिंह, कोलकाता से आयी गायिका अखी दास के सुरीली आवाज गुरुओं का भजन, गजल अथवा वाद्य यंत्र पर संगत कर रहे चिंटू मिश्रा जी, कमल शर्मा जी, रत्नेश मिश्रा जी, गोल्डी दा, किशोर दा, के मधुर धुन ने सभा को सुरमई कर दिया। इस समारोह को आदर, अभिवंदन व संबोधित करते हुए विद्यालय के चेयरमैन श्री अविनाश देव ने कहा कि गुरु ही हमारे शुभ चिंतक सही मार्गदर्शक और हमारे समूचे व्यक्तित्व का निर्माण करके हमे हमारे भविष्य निर्माण में सहयोग करते हैं।

गुरु सदैव वंदनीय हैं और श्रेष्ठ है जिनकी तुलना भगवान से की जाती है। गुरु ही शिष्य को वह दिव्य दृष्टि प्रदान करता है जिसके प्रकाश में वह खुद को पहचान पता है कि मैं कौन हूं मेरी प्रतिभा क्या है, मेरा मंजिल कहां है, और मैं हृदय से ऋणी हूं उन समस्त अध्यापकों का जिन्होंने अपने स्नेह, समर्पण, संयम, धैर्य व संवेदनाओं के साथ पलामू के शिक्षा को एक नई ऊंचाई दे रहे है। हालांकि बदलते वक्त के अनुसार एडवांस टेक्नोलॉजी के माध्यम से निश्चित रूप से हम बच्चों को बेहतर शिक्षा तो दे पा रहे हैं, लेकिन संत मरियम का प्रयास है कि यह विद्यालय शिक्षा का एक माध्यम नहीं बल्कि सर्वांगीण विकास का साधन बने ताकि बच्चों में शिक्षा के साथ-साथ संपूर्ण व संतुलित व्यक्तित्व का निर्माण हो सके क्योंकि गणित, विज्ञान या अन्य विषयों को बेहतर रूप से पढ़ा देना ही एक सभ्य शिक्षक की परिभाषा नहीं है, बल्कि विषयों के ज्ञान देने से पूर्व अपने विद्यार्थियों में संस्कारों का बीजारोपण, राष्ट्रभक्ति की भावना अथवा सामाजिक मूल्यों का परिचय कराने के पश्चात ही विषयों के ज्ञान से अपने विद्यार्थी का भविष्य उज्ज्वल करे वही श्रेष्ठ शिक्षक की पहचान है। मौके पर विद्यालय के प्रधानाचार्य कुमार आदर्श, छात्रावास अधीक्षक उत्कर्ष देव, उप प्राचार्य एस वी शाहा, रानी मैम, पूजा देव, देवम इंस्टिट्यूट का विभागाध्यक्ष आर एन सिंह , शैक्षणिक प्रमुख यू एस चौबे, प्रवीण दुबे, संजय सिंन्हा विद्यालय समन्वयक अमरेंद्र कुमार, अचला कुमारी, रिजवाना प्रवीण, रोशन राज, एडवोकेट ओंकार नाथ तिवारीगुप्त, राजेश राय, जितेंद्र जी श्याम सर, राज गुप्ता के साथ-साथ समस्त शिक्षक कर्मचारी व गणमान्य लोग मौजूद रहे।

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