कक्षा 6, 7 और 8 के बच्चों को वजीफा, 50 की जगह 200 रुपये प्रति माह छात्रवृत्ति, कक्षा 9-12 तक के छात्र-छात्राओं को तोहफा
:उत्तर प्रदेश के संस्कृत विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को छात्रवृत्ति देने की व्यवस्था में परिवर्तन सम्बन्धी प्रस्ताव को राज्य मंत्रिमण्डल की बैठक में मंजूरी दे दी गयी।
इसके तहत जहां कक्षा छह, सात और आठ के बच्चों को भी वजीफा देने का निर्णय लिया गया है वहीं, कक्षा नौ से 12 तक के छात्र-छात्राओं को मिलने वाली छात्रवृत्ति की राशि में वृद्धि की गयी है। प्रदेश की माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में यहां हुई मंत्रिमण्डल की बैठक में लिये गये इस निर्णय की जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2001 से छात्रवृत्ति की जो व्यवस्था चल रही थी उसमें आज संशोधन करने का प्रस्ताव मंत्रिमण्डल ने पारित कर दिया।
एक सरकारी बयान के मुताबिक संस्कृत विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों की छात्रवृत्ति को दो दशकों के बाद बढ़ाया गया है, पिछली बार इसे 2001 में संशोधित किया गया था। नई छात्रवृत्ति राशि 50 रुपये से 200 रुपये प्रति माह के बीच होगी। इस पर 19.65 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च होने की संभावना है।
मंत्री ने बताया कि पहले कक्षा नौ एवं 10 के छात्र-छात्राओं को 50 रुपये मासिक तथा कक्षा 11 और 12 के बच्चों को 80 रुपये मासिक छात्रवृत्ति दी जाती थी। वहीं शास्त्री पाठ्यक्रम के छात्र-छात्राओं को 80 रुपए और आचार्य के विद्यार्थियों को 120 रुपए प्रतिमाह दिए जाने की व्यवस्था थी। क्योंकि संस्कृत शिक्षा ग्रहण करने वाले ज्यादातर बच्चे गरीब तबके के होते हैं लिहाजा संस्कृत शिक्षा के अंतर्गत प्रथमा यानी कक्षा छह, सात और आठ के छात्र-छात्राओं को भी छात्रवृत्ति दिए जाने की व्यवस्था की गई है।
मंत्री ने बताया कि आज पारित प्रस्ताव के मुताबिक कक्षा छह और सात के बच्चों को 50 रुपये प्रति माह और प्रथमा की ही कक्षा आठ के बच्चों को 75 रुपए प्रतिमाह देने की व्यवस्था की गई है। इसके साथ-साथ कक्षा नौ और 10 के विद्यार्थियों को 100 रुपये तथा उत्तर मध्यमा यानी 11 और कक्षा 12 के विद्यार्थियों के लिए 150 रुपए प्रतिमाह, शास्त्री पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों के लिए 200 रुपये और आचार्य के लिए 250 रुपये प्रतिमाह की व्यवस्था की गई है। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने बताया कि पहले यह नियम था कि 50 हजार रुपये तक सालाना आमदनी वाले परिवार के बच्चों को ही छात्रवृत्ति दी जाती थी।
लेकिन अब आमदनी की सीमा को हटा दिया गया है। अब जो भी छात्र संस्कृत विद्यालयों की निर्धारित कक्षाओं में पढ़ते हैं, उन सभी को छात्रवृत्ति दी जाएगी। उन्होंने बताया कि इस समय प्रदेश में 517 संस्कृत विद्यालय हैं जिनमें एक लाख 21 हजार 573 छात्र पढ़ रहे हैं। खन्ना ने बताया कि मंत्रिमंडल ने उत्तर प्रदेश डाटा सेंटर नीति में संशोधन के एक प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2021 में उत्तर प्रदेश डाटा सेंटर नीति लाई गई थी। उसके बाद यह महसूस किया गया कि उसमें सबसे ज्यादा बिजली की आवश्यकता होती है तो एक ग्रिड से होने वाली बिजली आपूर्ति पर्याप्त नहीं थी। यह सोचा गया कि सेंटर के पास दो बिजली कनेक्शन हों ताकि उसे 24 घंटे बिजली मिले। इस वजह से आज एक संशोधन का प्रस्ताव पारित किया गया है।
इसमें दो ग्रिड या फिर दो कनेक्शन से बिजली दी जाएगी और जिस ग्रिड या कनेक्शन से सबसे कम बिल आएगा वह सरकार सब्सिडी के रूप में उपलब्ध कराएगी। खन्ना ने बताया कि मंत्रिमण्डल की बैठक में कुल 14 प्रस्ताव पेश किए गए जिनमें से 13 को मंजूरी दी गई। एक प्रस्ताव को पुनर्विचार के लिए वापस भेजा गया।
प्रदेश के पर्यटन मंत्री ठाकुर जयवीर सिंह ने पर्यटन विभाग के पर्यटक आवास गृहों को बेहतर प्रबंधन के उद्देश्य से निजी उद्यमियों को 30 वर्षों के लिये देने सम्बन्धी पारित प्रस्ताव के बारे में बताया कि पर्यटकों के रहने और खाने की व्यवस्थाएं बेहतर हो सकें, इसके लिए वर्ष 1998 में सरकार ने उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम के जर्जर हो चुके पर्यटक आवास गृहों को निजी संविदा प्रबंधन व्यवस्था के तहत निजी उद्यमियों को पांच साल के लिए देने का निर्णय लिया गया था। उन्होंने बताया, ”मगर तमाम प्रयासों के बावजूद किसी भी उद्यमी या निजी निवेशक ने अभी तक उसमें कोई भी दिलचस्पी नहीं दिखाई।
इसे देखते हुए आज एक प्रस्ताव पारित किया गया। इसके तहत घाटे में या बंदी की कगार पर पहुंच चुके आवास गृहों को 15 साल और फिर 15 साल की विस्तारित अवधि के लिये उन्हें निजी प्रबंधन पर दिया जाएगा। इससे न सिर्फ पर्यटकों को बेहतरीन सुविधाएं मिलेंगी बल्कि निजी उद्यमी भी इसके प्रति आकर्षित होंगे।”
मंत्रिमंडल की बैठक में जलजीवन मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में पाइप से पेयजल की आपूर्ति की योजना के संचालन के लिये अनुरक्षण नीति 2024 को भी मंजूरी दी गयी है। यह नीति उन गांवों के लिये लायी जा रही है जिनमें काम पूरा हो चुका है और उसका रखरखाव किया जाना है।