लोकसभा चुनाव 2024: …तो क्या सोरोस ने पीएम मोदी को हराने की साजिश रची थी?

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लोकसभा चुनाव 2024 के रिजल्ट मंगलवार को जारी हो जाएंगे. करीब दो माह तक चले लोकतंत्र के इस महापर्व में करोड़ों भारतीयों की हिस्सेदारी रही. शुरू से ही इस पूरे चुनावी अभियान में पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा के बढ़त बनाए होने के अनुमान जताए जा रहे थे.

मतदान बाद एग्जिट पोल में भी भाजपा को बड़ी जीत मिलने की बात कही गई. लेकिन, इन दावों से इतर सोशल मीडिया पर कुछ और ही चल रहा था. सोशल मीडिया और विदेशी खासकर पश्चिमी मीडिया में काफी निगेटिव खबरें प्रकाशित हुई. ऐसे में अब ऐसी रिपोर्ट आई है जिसमें दावा किया गया है कि इस चुनाव को विदेशी ताकतों ने प्रभावित करने की कोशिश की.

इसको लेकर एक्स पर हंगामा छिड़ गया है. एक यूजर अभिजीत मजूमदार ने एक पोस्ट में लिखा है कि इस चुनाव में सोशल मीडिया, हेनरी लुईस फाउंडेशन, सोरोस, सीआईए, यूएस डीप डिपार्टमेंट, क्रिस्टोफ जैफ्रोलॉट, एंड्रू ट्र्स्की और ग्लोबल फंडिंग जैसी ताकतों ने पीएम मोदी की जीत को रोकने की कोशिश की. अपने दावे के साथ मजूमदार ने डिसइंफो लैब (DisInfo Lab) के ट्विटर हैंडल से किए गए कई पोस्ट के थ्रेड्स भी रिट्वीट किए हैं. DisInfo Lab की इस रिपोर्ट का टाइटल ही है- एक्सोज्ड: मिलियन्स ऑफ डॉलर फंडेडे टु इंपैक्ट इंडियन इलेक्शन रिजल्ट्स!. डिसइंफो लैब यूरोप की एक गैर सरकारी संस्था है जिसका दावा है कि वह पश्चिमी देशों में सूचनाओं से छेड़छाड़ कर प्रकाशित करने मीडिया संस्थाओं पर नजर रखती है और उसकी रिपोर्ट तैयार करती है.

इजरायल और चीन से चुनाव प्रभावित करने की हुई कोशिश
इसमें कहा गया है कि हाल ही में संपन्न भारत के आम चुनाव को चीन से लेकर इजरायल तक से प्रभावित करने की कोशिश की गई. हालांकि इसमें वेस्टर्न पावर्स यानी यूरोपियन यूनियन से लेकर अमेरिका तक के इंटरफेयरेंस को लेकर कोई स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है.

DisInfo Lab के एक अन्य पोस्ट में लिखा गया है कि भारत के चुनाव के बारे में बेवजह इंटरफेयर करने वाली रिपोर्टिंग देखी गई. ये अधिकतर रिपोर्टिंग निगेटिव थी. इससे वेस्टर्न मीडिया के दोगलापन का पता चला. इससे इंटरनेट पर पूरी नैरेटिव बदल गई.
वोटर्स के दिमाग को बदलने की कोशिश
इसमें कहा गया है कि कुछ मीडिया आउटलेट्स को फंडिंग उपलब्ध करवाया गया. वोटर्स के दिमाग को बदलने की पूरी कोशिश की गई और इसके खतरनाक किस्म के नैरेटिव गढे गए. इन सबके पीछे जो इंसान है उसका नाम है क्रिस्टोफ जैफ्रेलॉट (सीजे). इसके साथ ही भारत को बांटने वाला कास्ट सेंशस का नैरेटिव भी फ्रांस से आया.

क्रिस्टोफ जैफ्रेलॉट को भारत के बारे में काफी कुछ लिखने-पढ़ने वाले इंसान के रूप में जाना जाता है. यहां तक कि इस चुनाव में फ्रांस का मीडिया कुछ ज्यादा ही इंट्रेस्ट ले रहा था. ये सभी मीडिया क्रिस्टोफ जैफ्रेलॉट को बतौर एक एक्सपर्ट कोट किया करते थे.

अशोका यूनिवर्सिटी से आया कास्ट सेंशन का नैरेटिव
इसमें आगे कहा गया है कि क्रिस्टोफ जैफ्रेलॉट के सहयोगी गिल्स वर्नियर्स ने अशोका यूनिवर्सिटी के त्रिवेदी सेंटर ऑफ पॉलिटिकल डाटा के जरिए यह नैरेटिव बनाने की कोशिश की कि राजनीति में कथित निचली जातियों के लोगों का प्रतिनिधित्व काफी कम है. इसमें कहा गया है कि क्रिस्टोफ जैफ्रेलॉट ने सितंबर 2021 में ‘कास्ट सेंशस की जरूरत’ शीर्षक से पेपर लिखा था. इसके बाद ही भारत की राजनीति में जाति जनगणना पर चर्चा शुरू हुई.

DisInfo Lab के पोस्ट में आगे कहा गया है कि कास्ट के मुद्दे पर अभी चर्चा चल रही थी कि क्रिस्टोफ जैफ्रेलॉट को अमेरिका की एक संस्था हेनरी लुईस फाउंडेशन से भारी फंडिंग मिली. इस फाउंडेशन की स्थापना टाइम मैग्जीन के फाउंडर हेनरी लुईस ने ही किया था. हालांकि, दिसंबर 2023 में भी भारत की मोदी सरकार के खिलाफ सोरोस के द्वारा साजिश रचने का आरोप लगाया था.

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