सेमल के पेड़ से जुड़ा है एक विलुप्तप्राय सारस की अनूठी रिश्ता

0

सेमल के पेड़ से जुड़ा है एक विलुप्तप्राय सारस की अनूठी रिश्ता

10 वर्षों से प्रजनन के लिए जुलाई में आता है, सितम्बर में बच्चों के साथ उड़ जाता है

गारू(लातेहार):- पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र के बारेसांढ़ गांव के झुमरी नामक टोला में एक विशालकाय सेमल पेड़ में पिछले 10 वर्षों से एशियाई ऊनी गर्दन वाला सारस 3 महीने के लिए प्रवास करता है. जो स्थानीय लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. हालांकि इस पक्षी का वास्तविक नाम गांव के बारे में लोगों जानकारी नहीं है. गांव वाले बताते हैं कि वे लोग आज तक इस पक्षी के साथ कोई असहज व्यवहार नहीं किये हैं शायद यही वजह है कि प्रत्येक वर्ष जुलाई से सितंबर तक अपने प्रजनन काल में इसी पेड़ में प्रवास करता है. यह तस्वीर स्थानीय वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर शेरा कुमार द्वारा कैमरे में कैद किया गया है.
इस सारस के पीठ का रंग काला होता है और पंख गहरे हरे और बैंगनी रंग के होते हैं. गर्दन में सफ़ेद पट्टी बनी होती है.
पलामू टाइगर रिजर्व साउथ डिविजन डीएफओ कुमारआशीष नें बताया कि
ये स्थानीय पक्षी हैं और आर्द्रभूमि, दलदल, नदियों, झीलों और तालाबों में रहते हैं. वे मेंढक, मछली, केकड़े, कीड़े और छोटे सरीसृप खाते हैं.वे दक्षिण भारत में जुलाई से सितंबर और उत्तर भारत में दिसंबर से मार्च के दौरान प्रजनन करते हैं. वे जंगल के पेड़ों पर घोंसला बनाते हैं और घोंसले में दो से पांच अंडे होते हैं.

*क्या कहते हैं इंडियन बर्ड कंजर्वेशन नेटवर्क कोऑर्डिनेटर डॉ सत्यप्रकाश*
इंडियन बर्ड कंजर्वेशन नेटवर्क के डॉक्टर सत्य प्रकाश नें बताया कि ऊनी गर्दन वाला सारस झारखण्ड के उधवा, हजारीबाग जैसे कई जगहों में देखा गया है. परन्तु झारखण्ड में घोंसला बनाकर प्रजनन की मामला मेरी जनकारी के अनुसार पहला है. झारखण्ड में प्रजनन करते हुए आज अभी तक नहीं देखा गया है. आसपास के वातावरण और सुरक्षित माहौल महसूस करने के कारण प्रजनन में प्रत्येक वर्ष एक ही पेड़ में आ जाते हैं.
इस एशियन वूल्ड नेक्ड सारस को अंतराष्ट्रीय स्तर पर आईयूसीएन रेड लिस्ट में नियर थ्रेटेन लिस्ट में रखा गया है यानि इसके आबादी पर खतरा मंडरा रहा है. वहीं उन्होंने बताया कि भारत में इसे वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 संसोधित 2022 के अनुसार शेड्यूल-2 में संरक्षण प्राप्त है. चुकि झारखण्ड में प्रजनन का यह पहला मामला है. कई फोटोग्राफर वहां जाना चाहेंगे जिसपर वन विभाग को निगाह रखना चाहिए.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright © All rights reserved. | CoverNews by AF themes.