शांति का मार्ग प्रशस्त करने के लिए दुनिया को बुद्ध की शिक्षाओं से सीख लेनी चाहिए: PM मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया के कई क्षेत्रों में जारी युद्ध के बीच बृहस्पतिवार को कहा कि मौजूदा परिस्थिति में भगवान बुद्ध की शिक्षाएं न केवल प्रासंगिक हैं बल्कि आवश्यक भी हैं और शांति का मार्ग प्रशस्त करने के लिए विश्व को इनसे सीख लेनी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने को भगवान बुद्ध की महान विरासत का सम्मान करार दिया और कहा कि भारत की बुद्ध में आस्था केवल अपने लिए ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता की सेवा का मार्ग है। उन्होंने आजादी के बाद भारत की सांस्कृतिक विरासत की उपेक्षा के लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारों पर निशाना भी साधा। प्रधानमंत्री राजधानी स्थित विज्ञान भवन में अंतरराष्ट्रीय अभिधम्म दिवस कार्यक्रम और पाली को शास्त्रीय भाषा के तौर पर मान्यता देने के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ”जब विश्व अस्थिरता का सामना कर रहा है तो ऐसे में बुद्ध न केवल प्रासंगिक हैं बल्कि आवश्यक भी हैं। विश्व को युद्ध में नहीं बल्कि बुद्ध में समाधान मिल सकता है, उसे शांति का मार्ग प्रशस्त करने के लिए उनकी शिक्षाओं से सीख लेनी चाहिए।” मोदी ने कहा कि भाषा, साहित्य, कला और आध्यात्मिकता जैसे सांस्कृतिक स्तंभ एक राष्ट्र की पहचान को आकार देते हैं और प्रत्येक राष्ट्र गर्व से अपनी विरासत को अपनी पहचान से जोड़ता है।
उन्होंने कहा, ”अफसोस की बात है कि भारत अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में पिछड़ गया है। आजादी से पहले आक्रमणकारियों ने भारत की पहचान को मिटाने की कोशिश की और आजादी के बाद लोग गुलाम मानसिकता के आगे झुक गए।” प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में एक ‘पारिस्थितिकी तंत्र’ ने पकड़ बना ली थी जिसने देश को गलत दिशा में धकेलने का काम किया। उन्होंने कहा, ”लेकिन आज देश हीन भावना से मुक्त होकर, स्वाभिमान से, आत्म-गौरव के साथ आगे बढ़ रहा है।
इस परिवर्तन के कारण देश साहसिक निर्णय ले रहा है। यही कारण है कि आज पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त है और इसी तरह मराठी भाषा को भी यह सम्मान प्राप्त है। भारत बड़ी प्रगति कर रहा है, भारत आगे और आगे बढ़ रहा है।” मोदी ने इस अवसर पर बाबासाहेब आंबेडकर को भी श्रद्धांजलि दी जो दलित समुदाय से ताल्लुक रखते थे लेकिन बाद में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया था। बुद्ध की शिक्षाओं को मूल रूप से पाली में संरक्षित किए जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह हर किसी की जिम्मेदारी है कि वह भाषा का संरक्षण करे जो अब आम तौर पर इस्तेमाल नहीं होती।
उन्होंने कहा, ”पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा भगवान बुद्ध की महान विरासत का सम्मान है।” अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ ने इस समारोह का आयोजन संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से किया था। केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और संसदीय और अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू भी इस अवसर पर उपस्थित थे। पाली को हाल ही में चार अन्य भाषाओं के साथ शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता दी गई है।
इसके साथ ही इस वर्ष के अभिधम्म दिवस समारोह का महत्व भी बढ़ गया है क्योंकि अभिधम्म पर भगवान बुद्ध की शिक्षाएं मूल रूप से पाली भाषा में उपलब्ध हैं। प्रधानमंत्री ने शरद पूर्णिमा और वाल्मीकि जयंती के अवसर पर लोगों को शुभकामनाएं भी दीं।