वैज्ञानिकों ने खोजा कैंसर का इलाज!, सिर्फ 100 रुपये में मिल जाएगी दवाई
दुनिया में सबसे ज्यादा कैंसर मरीज भारत में है. हर 10 कैंसर मरीज में से करीब 5 की मौत हो जाती है. ट्रीटमेंट के बाद भी कोई गारंटी नहीं रहती है कि ये मरीज में वापस न फैले.ऐसे में कैंसर के सबसे बड़े हॉस्पिटल, टाटा अस्पताल के डॉक्टरों ने कैंसर बीमारी पर गहरा अध्ययन किया और एक ऐसी टैबलेट विकसित की है जो कैंसर का इलाज करने और दूसरी बार कैंसर होने से रोकने में मदद कर सकती है. चिंताजनक तरीके से बढ़ रहे भारत में कैंसर के मामलों को देखते हुए टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी टैबलेट विकसित की है जो कैंसर का इलाज करने और दूसरी बार कैंसर होने से रोकने में मदद कर सकती है.
इस तरीके से किया गया शोध:
इस शोध को करने के लिए चूहों में मनुष्य के कैंसर सेल डाले गए थे जिसके बाद उनमें ट्यूमर निर्माण हुआ. फिर रेडिएशन थेरेपी, कीमो थेरेपी और सर्जरी के जरिए उनका इलाज किया गया. पाया गया कि जब कैंसर सेल्स मर जाती है तो वो बहुत छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाती है इन टुकड़ों को क्रोमेटिन कण कहा जाता है. क्रोमेटिन कण ब्लड फ्लो के जरिए शरीर के अन्य हिस्सों में जा सकते हैं और जब वे हेल्दी सेल्स में प्रवेश करते हैं तो वह उन्हें कैंसर सेल में बदल सकते हैं, जिस वजह से कैंसर से नष्ट होने के बाद भी वापस आ सकते हैं.
टैबलेट क्रोमेटिन कण को बेअसर करने में रही कामयाब:
इस समस्या का समाधान खोजने के लिए ही डॉक्टरों ने चूहों को रेसवेरेट्रॉल और कॉपर कंबाइंड प्रो-ऑक्सीडेंट टैबलेट दी. यह टैबलेट क्रोमेटिन कण के असर को रोकने में फायदेमंद रही. लगभग एक दशक से टाटा के डॉक्टर इस टैबलेट पर काम कर रहे थे और आखिरकार उन्हें सफलता मिल ही गई. फिलहाल, फूड सेफ्टी एंड स्टैण्डर्ड अथॉरिटी FSSAI से टैबलेट को मंजूरी का इंतजार है. मंजूरी मिलने के बाद यह टैबलेट बाजार में उपलब्ध होने लगेगी. कैंसर ट्रीटमेंट को बेहतर बनाने के लिए यह टैबलेट काफी हद तक मदद करेगी.